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नवरात्रि: बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व

नवरात्रि: बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व

नवरात्रि हिंदू धर्म के सबसे प्रमुख और पूजनीय त्योहारों में से एक है, जिसे भारत और दुनिया भर में हिंदू समुदाय बड़े हर्ष और भक्ति के साथ मनाते हैं। संस्कृत शब्द "नव" (जिसका अर्थ है नौ) और "रात्रि" (रात) से बना यह पर्व नौ रातों तक चलता है और देवी दुर्गा के नौ विभिन्न रूपों की पूजा को समर्पित होता है। नवरात्रि का धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से अत्यधिक महत्व है, क्योंकि यह अच्छाई की बुराई पर विजय का प्रतीक है।

नवरात्रि का महत्व

नवरात्रि का पर्व देवी दुर्गा और उनकी शक्ति का सम्मान करने के लिए मनाया जाता है। देवी दुर्गा को शक्ति और साहस का प्रतीक माना जाता है, और यह पर्व विशेष रूप से उनके नौ रूपों—शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री—की पूजा के लिए मनाया जाता है। हर दिन एक विशेष देवी की पूजा की जाती है और उनके अलग-अलग गुणों को याद किया जाता है, जैसे साहस, ज्ञान, शांति, और समृद्धि।

नवरात्रि की कथाएँ

नवरात्रि से जुड़ी मुख्य कथा महिषासुर और देवी दुर्गा की है। महिषासुर, एक दानव, ने अपनी तपस्या से ब्रह्मा जी से अमरता का वरदान प्राप्त किया था, लेकिन उसकी शक्ति और अहंकार बढ़ने लगे और उसने स्वर्ग लोक पर आक्रमण कर दिया। देवताओं ने महिषासुर से मुक्ति पाने के लिए माँ दुर्गा से प्रार्थना की। माँ दुर्गा ने महिषासुर के साथ नौ दिनों तक युद्ध किया और अंत में दसवें दिन उसे पराजित किया। इस दिन को "विजयदशमी" या "दशहरा" के रूप में मनाया जाता है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।

नवरात्रि के दौरान उपवास और पूजा

नवरात्रि के दौरान भक्त उपवास रखते हैं और विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। उपवास का उद्देश्य आत्म-शुद्धि और देवी के प्रति समर्पण को दर्शाना है। भक्त सादा और सात्विक भोजन करते हैं और मांस, मछली, प्याज, लहसुन आदि का सेवन नहीं करते। साथ ही, घरों में दुर्गा सप्तशती का पाठ किया जाता है और देवी की मूर्तियों और तस्वीरों को विशेष प्रकार से सजाया जाता है।

नवरात्रि का सांस्कृतिक पहलू

नवरात्रि केवल धार्मिक त्योहार ही नहीं, बल्कि यह एक सांस्कृतिक महोत्सव भी है। गुजरात और महाराष्ट्र में गरबा और डांडिया रास का आयोजन होता है, जहां लोग पारंपरिक परिधानों में सज-धजकर नृत्य करते हैं। बंगाल में इस त्योहार को दुर्गा पूजा के रूप में मनाया जाता है, जिसमें माँ दुर्गा की विशाल मूर्तियाँ स्थापित की जाती हैं और विशेष पूजा, प्रसाद वितरण और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।

दशहरा: बुराई पर अच्छाई की जीत का दिन

नवरात्रि के अंतिम दिन, जिसे दशहरा या विजयदशमी कहा जाता है, रावण दहन का आयोजन होता है। यह दिन भगवान राम द्वारा रावण के वध की याद में मनाया जाता है और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। भारत के विभिन्न हिस्सों में रामलीला का आयोजन होता है और रावण के विशाल पुतले जलाए जाते हैं, जिससे यह संदेश मिलता है कि अंत में सत्य और धर्म की ही विजय होती है।

निष्कर्ष

नवरात्रि केवल देवी की आराधना का पर्व नहीं है, बल्कि यह आत्म-संयम, भक्ति, और संस्कृति के रंगों का संगम है। यह त्योहार हमें यह सिखाता है कि भले ही बुराई कितनी भी शक्तिशाली क्यों न हो, अंततः जीत सच्चाई और धर्म की होती है। नवरात्रि हमें अपनी आंतरिक शक्ति को पहचानने, अपने जीवन में अच्छाई और शांति को स्थान देने का अवसर देती है।


हिंदू कैलेंडर के अनुसार,  नवरात्रि  वर्ष में दो बार मनाई जाती है:

1. चैत्र नवरात्रि: 

   - यह हिंदू नववर्ष के पहले महीने चैत्र में आती है, जो आमतौर पर मार्च-अप्रैल के बीच पड़ती है। 

   - चैत्र नवरात्रि का अंतिम दिन राम नवमी के रूप में मनाया जाता है, जो भगवान राम के जन्म का पर्व है।

2. शारदीय नवरात्रि: 

   - यह हिंदू कैलेंडर के आश्विन महीने में आती है, जो आमतौर पर सितंबर-अक्टूबर के बीच पड़ती है।

   - यह नवरात्रि सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है और इसका समापन विजयदशमी या दशहरा के साथ होता है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।


नवरात्रि की सटीक तिथियाँ हर साल पंचांग की ज्योतिषीय गणनाओं के आधार पर बदल सकती हैं, क्योंकि यह चंद्र कैलेंडर पर आधारित होती हैं। अधिक जानकारी के लिए पचांग देखें


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