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मां कूष्मांडा: पूजन विधि और मंत्र

मां कूष्मांडा: पूजन विधि और मंत्र

मां कूष्मांडा की कृपा से भक्तों को दीर्घायु, आरोग्य, और समृद्धि की प्राप्ति होती है। नवरात्रि के चौथे दिन उनकी पूजा विशेष रूप से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और शक्ति के लिए की जाती है।

मां कूष्मांडा की कथा

मां कूष्मांडा को ब्रह्मांड की रचयिता माना जाता है। हिन्दू पुराणों के अनुसार, जब सृष्टि का कोई अस्तित्व नहीं था और चारों ओर केवल अंधकार था, तब मां कूष्मांडा ने अपनी हंसी से ब्रह्मांड की रचना की। उनके इस अद्भुत हंसने से ब्रह्मांड (जिसे "कूष्माण्ड" कहा गया) का जन्म हुआ। इसीलिए उन्हें कूष्मांडा नाम से जाना जाता है, जिसका अर्थ है 'कद्दू'। कद्दू को भी एक विशेष फल माना जाता है जो उनके प्रति समर्पण का प्रतीक है।

उनकी आठ भुजाएं सृजन, संरक्षण, और विनाश की शक्ति का प्रतीक हैं। मां कूष्मांडा का वाहन सिंह है, जो साहस और शक्ति का प्रतीक है। उनकी आठ भुजाएं और हथियार हमें जीवन की कठिनाइयों से लड़ने की प्रेरणा देती हैं।

मां कूष्मांडा के पूजन से जीवन में प्रकाश, समृद्धि और स्वास्थ्य आता है। पुराणों में वर्णित है कि मां कूष्मांडा समस्त ब्रह्मांड की ऊर्जा और सृजन की शक्ति की देवी हैं। उनके बिना ब्रह्मांड का अस्तित्व संभव नहीं होता।

मंत्र

मां कूष्मांडा के मंत्र का जप करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और भक्तों को स्वास्थ्य, समृद्धि, और शांति प्राप्त होती है।

मंत्र:
"ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कूष्माण्डायै नमः"

पूजा विधि

मां कूष्मांडा की पूजा विशेष रूप से नवरात्रि के चौथे दिन की जाती है। इस दिन भक्त मां को प्रसन्न करने के लिए विशेष पूजा करते हैं। यहां मां कूष्मांडा की पूजा विधि का वर्णन किया गया है:

  1. स्नान और स्वच्छ वस्त्र: सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ-सुथरे वस्त्र धारण करें।
  2. पूजा स्थान: पूजा स्थान को साफ करके मां कूष्मांडा की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
  3. संकल्प: पूजा से पहले संकल्प लें और माता से प्रार्थना करें कि वे आपकी पूजा स्वीकार करें।
  4. ध्यान और मंत्र: मां कूष्मांडा का ध्यान करते हुए उनका मंत्र "ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कूष्माण्डायै नमः" जप करें।
  5. पुष्प अर्पण: मां को लाल फूल अर्पित करें। उन्हें कमल का फूल विशेष रूप से प्रिय है।
  6. दिया और धूप: दीपक और धूप जलाएं और मां के समक्ष अर्पित करें।
  7. नैवेद्य: मां को ताजे फलों, विशेषकर कद्दू, का भोग लगाएं। साथ ही मिठाई भी अर्पित करें।
  8. आरती: मां की आरती गाएं और उनसे सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य की कामना करें।
  9. प्रसाद वितरण: अंत में भोग का प्रसाद परिवार और दोस्तों में वितरित करें।



    मां कूष्मांडा की उपासना से न केवल जीवन में समृद्धि, स्वास्थ्य और शक्ति का संचार होता है, बल्कि ब्रह्मांड की अनंत ऊर्जा का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। उनकी कृपा से भक्तों के जीवन में प्रकाश, शांति और सृजन की नई दिशा खुलती है। अगर आप अपने जीवन में अज्ञान के अंधकार को मिटाकर ज्ञान और प्रकाश का संचार करना चाहते हैं, तो मां कूष्मांडा की भक्ति और पूजा अनिवार्य रूप से फलदायक होगी। उनका आशीर्वाद आपके जीवन को सकारात्मक ऊर्जा से भर दे, यही कामना है।

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