ज्योतिष शास्त्र के अनुसार तिथियों का विशेष महत्व है। प्रत्येक तिथि का स्वामी ग्रह और उसकी अपनी विशेषताएँ होती हैं, जो किसी कार्य की सफलता या असफलता को प्रभावित करती हैं। सही तिथि पर किया गया कार्य शुभ फल देता है, जबकि अशुभ तिथि पर किया गया कार्य असफलता या बाधाओं का कारण बन सकता है। यहां विभिन्न तिथियों के अनुसार कौन-कौन से कार्य करने चाहिए, इस पर विस्तार से चर्चा की गई है:
प्रतिपदा तिथि का स्वामी सूर्य होता है। इस दिन नए कार्यों की शुरुआत, भूमि पूजन, भवन निर्माण या गृह प्रवेश करना शुभ माना जाता है। इस दिन किए गए कार्यों से दीर्घकालिक लाभ प्राप्त होते हैं। शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा में विवाह, यात्रा, यगोपवीत, प्रतिष्ठा, मुंडन, वास्तुकर्म, गृह प्रवेश नहीं करना चाहिए जबकि कृष्णा पक्ष की प्रतिपदा में यह सब कार्य किये जा सकते है। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा में यह सब कार्य किये जा सकते है ।
द्वितीया का स्वामी चंद्रमा होता है। यह तिथि शांतिपूर्ण और स्थिर कार्यों के लिए उपयुक्त है। इस दिन विवाह, यात्रा, वस्त्र खरीदारी, आभूषण खरीदना या बनवाना, संगीत, विद्या आरम्भ, शिल्पकला, और धार्मिक कार्य करना शुभ माना जाता है।
तृतीया तिथि का संबंध मंगल ग्रह से होता है। इस दिन शक्ति, पराक्रम और साहस से जुड़े कार्य किए जा सकते हैं। शस्त्र-प्राप्ति, भूमि से जुड़े कार्य या व्यापारिक समझौते इस दिन शुभ होते हैं।
चतुर्थी का स्वामी बुध है। बुध ग्रह ज्ञान और बुद्धिमत्ता का प्रतीक है, अतः इस दिन शिक्षा, लेखन, अध्ययन, कला और व्यवसायिक योजनाओं से जुड़े कार्य करना श्रेष्ठ माना जाता है।
पंचमी तिथि का स्वामी गुरु होता है। यह तिथि विद्या, धार्मिक कार्य, गुरु-पूजन और संस्कारों से जुड़े कार्यों के लिए विशेष रूप से शुभ होती है। इस दिन किसी भी धार्मिक अनुष्ठान का आयोजन शुभ होता है।
षष्ठी तिथि का स्वामी शुक्र ग्रह है। यह तिथि सौंदर्य, प्रेम और रचनात्मक कार्यों के लिए उत्तम मानी जाती है। इस दिन विवाह, सौंदर्य से जुड़े कार्य, सजावट और संगीत के कार्यों में सफलता मिलती है।
सप्तमी तिथि सूर्य से जुड़ी होती है। इस दिन सरकारी कार्य, प्रशासनिक कार्य, उच्च अधिकारियों से मुलाकात, न्यायालय से जुड़े कार्य और यात्रा करना लाभदायक होता है।
अष्टमी का संबंध मंगल से है। यह तिथि युद्ध, प्रतियोगिता और कठिन कार्यों के लिए उपयुक्त होती है। इस दिन शक्ति और साहस की आवश्यकता वाले कार्य करना शुभ होता है।
नवमी तिथि का स्वामी राहु होता है। इस दिन गोपनीय और रहस्यमयी कार्य, तंत्र-मंत्र, शोध और गहन अध्ययन से जुड़े कार्यों में सफलता मिलती है। यह तिथि उच्च स्तर के मानसिक कार्यों के लिए भी शुभ मानी जाती है।
दशमी तिथि का स्वामी शनि है। यह तिथि धैर्य और मेहनत से जुड़े कार्यों के लिए उपयुक्त होती है। भूमि, संपत्ति, निर्माण कार्य, वाहन खरीदने और नौकरी से जुड़े कार्यों में सफलता मिलती है।
एकादशी का स्वामी विष्णु है और यह तिथि धार्मिक और आध्यात्मिक कार्यों के लिए सर्वोत्तम मानी जाती है। इस दिन व्रत, पूजा-पाठ, ध्यान और दान-पुण्य से जुड़े कार्य करने से विशेष फल प्राप्त होते हैं।
द्वादशी तिथि का संबंध गुरु से होता है। इस दिन व्यापारिक समझौते, शिक्षा, और धार्मिक कार्यों में सफलता मिलती है। यह दिन आध्यात्मिक उन्नति के लिए भी शुभ होता है।
त्रयोदशी तिथि का स्वामी शुक्र ग्रह है। इस दिन सौंदर्य, स्वास्थ्य और संपत्ति से जुड़े कार्यों में सफलता मिलती है। यह तिथि दवा लेना और चिकित्सा से जुड़े कार्यों के लिए भी उत्तम मानी जाती है।
चतुर्दशी का स्वामी शिव है। इस दिन शक्ति और साहस से जुड़े कार्य करना श्रेष्ठ माना जाता है। यह दिन तंत्र-मंत्र, युद्ध, प्रतियोगिता और वाद-विवाद के लिए उपयुक्त होता है।
पूर्णिमा का संबंध चंद्रमा से होता है। यह तिथि धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यों के लिए श्रेष्ठ मानी जाती है। इस दिन दान-पुण्य, पूजा, मंत्र सिद्धि और धार्मिक अनुष्ठान करना अत्यंत शुभ होता है।
अमावस्या का संबंध पितरों और राहु-केतु से होता है। यह तिथि तांत्रिक और गूढ़ साधनाओं के लिए उत्तम मानी जाती है। इस दिन पितरों का श्राद्ध, दान और ध्यान करना विशेष फलदायक होता है।
ज्योतिष शास्त्र में हर तिथि का अपना विशेष महत्व होता है। यदि किसी कार्य को सही तिथि पर किया जाए, तो वह कार्य बिना बाधा के सफल होता है। अतः अपनी आवश्यकताओं के अनुसार उपयुक्त तिथि चुनकर कार्य करने से सफलता सुनिश्चित होती है।
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